दिन उदास है शाम गमगीन
सोचता हूं कभी कहीं फिर
देश न हो जाये स्वयं पराधीन
सीमओं पर दुश्मन कर रहा परेशान
कमजोर हो रहा हर प्रशासन
आंतक का चारो और शासन
जंहा देखो जहर उगल रहा भाषण
शिक्षीत युवा नहीं समझ रहा सक्षम संस्कार
X ca , चोरी, झूठ,और नफरत का बढ़ रहा आकार
अपनी ही बहन – बेटी का कर रहा तिरस्कार
समाचारों में सिर्फ बलात्कार ही बलात्कार
क्या यही है ? हमारी स्वाधीन उन्नति का उपहार
क्या नहीं है ? ऐसी स्वतंत्रता बेकार
सोचो मेरे देशवासी भाई सात बार
फिर तैयार करो अपने जीने का अधिकार
तय करो देश को सुरक्षा ही हमारा जीवन आधार
प्राण से प्यारी स्वतंत्रता कभी नहीं खोयेंगे
चाहे जान जाये यह प्रण नहीं तोड़ेगे
हर भारतीय को मन प्राण से जोड़ेंगे
हम कुछ भी नहीं है सिर्फ स्वतंत्र भारतीय है
इसकी अखण्डता के सच्चे सिपाही है
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जय हिन्द जय हिन्द की सेना
“अब सिर्फ यही तय है “
jai hind,bahut achi rachna hai sir
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धन्यवाद, क्या आपका नाम जान सकता हूँ।
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sir mera naam vidyottma choubisa hai
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अच्छा लगा आशा है आप भी लिखती होगी । देश को अभी आप जैसे देश के बारे में सोचने वालो की जरुरत है। देश भक्ति के बारे में लिखिए। आप क्या करती है ? आशा है आप बुरा नहीं मानेगी, इस सवाल पर।
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bilkul sir agali kavita desh bakti par likhne ka prayas karungi
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धन्यवाद,शुभ रात्री
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sir aap meri likhi post bhi padh kar mere vicharo par apni ray rakh sakte hai. thanks
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जरूर, मैं आपके लेखन का अवलोकन करूंगा।
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thank you sir
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