बड़ी बेवजह जिंदगी
अपने वजूद की वजह ढूंढ रही
ना समझ, नादान
बिन परिणाम जाने
यह क्या कर रही !
अपने दामन के दागो को
जग जाहिर कर रही
बड़ी बेवजह…..
न जाने वो
जग में आने की
कोई अंजान वजह होती
बिन वजह
न दिन होता न रात होती
मंजिल की खुदगर्जी में
वो यों ही बर्बाद होती
बड़ी बेवजह…
पल के पंखों से
उड़ती ही रहती
भ्रमित हो करती नादानी
आशा के राजहंस की दीवानी
प्यार के चित्रांकन की कामायनी
प्रियंवद की प्रेयसी बन
निस्नेह हो जब गिरती
निःशून्य होकर तड़पती
तृप्ति के दीप तले
अपने बिखरे अस्तित्व पर हंसती
बड़ी बेवजह…
सूरत और सीरत
दीवानी जिंदगी
अहसास के अंधकारों में
जब बेबस होकर भटकती
निष्कृत निष्कृष्ट
नफरत की बूंदों में
अपना वर्चस्व ढूंढती
भूल जाती
बन चन्द क्षण की कहानी
वो जहां से ही
पूर्ण विलीन हो जाती
बड़ी बेवजह….
रचियता 🐴कमल भंसाली🐮