तन्हा दिल बाज नहीं आया
बिन बुलाए
तेरी महफ़िल में चला आया
वक्त की रुस्वाई ने
कर दिया है, उसे घायल
जब कहीं
घुंघरु बजे छमाछम
तसल्ली के कुछ साये
कर देते उसे पागल
नाराज न होना
चले जायेंगे महफ़िल से
जरा रात को ढलने दो
हुस्न की बेपरवाही से
दिल को मचलने दो
जहां का भी दस्तूर है
दिलवाले को प्यार करने दो
चले जायेंगे….
खुदा की कसम ले लो
थोड़ा वक्त दे दो
नयनों के झरोखों से
मन्नत को पूर्ण होने दो
थरथराते स्पर्श से
जन्नत का दीदार करने दो
तन्हाई की दोजख में
बहुत रहे हमदम
बिखरे सपनों को
जरा समेटने दो
चले जायेंगे….
कल गैर कह देना
शिकवा न करेंगे
वफ़ा की कसम
लौ चिरागों की ढले
उस से पहले ही
जिस्म की आंच में
कुंदन बन निखर जाएंगे
अपनी हस्ती मिटाकर
दौलत प्यार की
इस जहां में छोड़ जायेंगे
सच कहते है
हसरतों का खेल
नहीं खेलने हम आये
खत मौहब्बत का
तेरो महफ़िल में छोड़ आये
चले जायेंगे…
***कमल भंसाली***