मुस्करा मन जरा धीमे से आज मुस्करा
आज नये साल का है नया स्वर्णिम सवेरा
दूर करले दिल के हर कोने का अंधियारा
सामने खड़ा साक्षात समर्थता का देव् तुम्हारा
मुस्करा मन …
आ चल चलते आत्मा की नदी के उस पार इस बार
नव पल्लिवत विचारों के फूल खिले है जहां बेशुमार
साँसों में महक भर ले अधखिले सपने खड़े है बेजार
खुदगर्ज न होना जब पा जाए चारों तरफ नई बहार
मुस्करा मन…..
चंचल चितवन प्रेयसी जिंदगी कर रही तेरा इंतजार
आलिंगन में ले उसे दे अपने सच्चे प्यार का इकरार
तसल्ली दे रहा दिल टूट कर नहीं बिखरेगा इस बार
मंजिल का राही बन आशाएं कर रही है ऐसा इजहार
मुस्करा मन….
माना जीवन जब दर्द के तेज सैलाब से गुजरता
गम की धुंध में कोई अपना भी नहीं पहचानता
तेरी मुस्कान ने समा जाएगा जब ये प्रखर सवेरा
तूं किरण बन छा, दूर हो जाए निराशामय अँधेरा
मुस्करा मन……
🌻रचियता🌻 कमल भंसाली🌸