“14 फ़रवरी” युवाओं का मन पसन्द दिन है, इस दिन वो अपने प्रेम का बेबाक इजहार कर सकते। हालांकि भारतीय संस्कृति की देन यह दिवस नहीं है, क्योंकि हमारी सामाजिक व्यवस्था ने प्रेम के प्रदर्शन को आज तक दिल से स्वीकार नहीं किया। आज का यह दौर प्रेम के नाम पर भटक रहा है, इस तरह का प्रेम वस्तुस्थिति की सुविधाओं पर निर्भर रहता है, उसमे दिखावा ज्यादा, पर,आस्था का अभाव होता है।
इस तरह के प्रेम पर पर ज्यादा कुछ कहने की जरुरत नहीं होती, क्योंकि समय के अनूसार ही जीवन चलता है। फिर भी उन्ही युवाओं के नाम शुभकामनाओं भरी कुछ पंक्तिया, जिनका इस दिवस के प्रति लगाव है। …..कमल भंसाली
मुद्दत हुई, तुम्हारे दिल से
दिल की नहीं हुई, मुलाक़ात
आओं, फिर भी गले मिलते
देकर गुलदस्ते की सौगात
दे, उपहारों की गवाही
आज हम सरे आम कहते
प्रेम हम एक दूसरे से करते
आओं, आज “प्रेम दिवस” मनाते
कहने से कोई दोस्त नहीं होता
उपहारों से दिल खुश नहीं होता
भावनाओं में बसी दुनिया में
इन रिश्तों में प्राण नहीं होता
प्रेम तो दिल के सागर का नीर
निरन्तर बिना आवाज बहता
हर टकराहट में हर एक स्पर्श
एक सहारे का अहसास होता
आँखों में आंसू नहीं
दिल में प्रेम प्यास नहीं
अनजानी चाहत की तलाश
हकीकत में प्यार नहीं
सच्चा प्यार जो करते
वो कुछ नहीं बोलते
साथ जीवन पथ पर चलते
किसी जश्न के मोहताज नहीं होते
संस्कार हमारे यही कहते
जो सजते, वो क्षणिक होते
कुछ पल का जुनून ही होता
प्यार तो … “अनमोल ” ही होता …कमल भंसाली