वक्त ने की बेवफाई
गम ने भी नहीं दिखाई, हमदर्दी
फिर भी, दोनों नहीं नाप सके
इस टूटते दिल की गहराई
वो गम देते रहे
मैं, सहता रहा
दिल, बिखरता रहा
मैं, उसे संभालता रहा
वक्त, लाख सितम कर ले
हर सितम को समझा दे
भले ही तुम, मुझे बर्बाद कर देे
मंजिल का हूँ, दीवाना
एक झलक, उसकी मिल जाए
चाहे हजारों लौ में
यह परवाना जल जाए
वक्त, राही हूँ, मंजिल का
“प्यार”, उसी से ही करता
तुमसे, मैं अब कहां डरता
दिल में जब तूफ़ान है, हजारों
“वक्त”, तेरी परवाह कौन करता
जान जरा, मेरे प्यार को
समझ, मेरे इकरार को
बदल जा, छोड़ झूठे अभिमान कों
दुनिया, में आया हूं
कुछ हासिल कर ही जाना
मौत ही तेरा है, आखरी सितम्
उसे भी भेज जरा
देख तो सही, इस दीवाने दिल में
कितना, साहस है, भरा
जाना है, चले जायेंगे
पर अहसास, अपने इरादों का
दुनिया को बता जाएंगे
यह, उनको भी समझा जाएंगे
“वक्त” से न करे, कोई अति प्यार
क्षण में बदल देता जीवन, यार
वक्त की तासीर है, बेवफाई
नासमझ भी, और हरजाई
एक ही जगह नहीं
उसका,अपना जोर
जब प्रभु, खोलते
भक्त के लिए, अपने द्वार………
कमल भंसाली