दिल तो है नादान, कुछ न जाने
प्रेम को ही जाने, उसकों ही पहचाने
खो जाता, सो जाता हर स्पर्श में
लिख देता, कई खुशबुओं की दास्ताने
प्रेम है भावनओं का शानदार खेल
मिलने बिछड़ने की अजीब रेल
कभी कभी साथ चलने की मजबूरी
पर रहती थोड़ी बहुत दिल की दूरी
सिर्फ, रिश्तों का ही नहीं बंधन
प्रेम, जीवन का सकारत्मक स्पंदन
सागर जैसा गहरा, चन्द्रमा जैसा सुनहरा
पर्वतों की श्रृखंला तरह, विस्तृत चेहरा
पवित्रता का पेड़ है, हर साख हरे भरे
भावुकता की उर्वरता पर ही फैलता
अहसासों की तह में ही जड़े फैलाता
फल लगते खट्टे मीठे, रिश्तों के रस से भरे
प्रेम प्रकाश की प्रथम और अंतिम किरण
परिधि प्रेम की, अंकित करता अंतकरण
संस्कारित प्रेम ही, दुःख का करता निराकरण
बिन प्रेम जीवन बीत जाता, अकारण
कहते है प्रेम चाहता करे,उसका दान
प्रेम की तासीर ही है, सबका हो कल्याण
स्नेह भी प्रेम का स्वरुप, देता वरदान
आत्म प्रेम ही देता, जीवन निर्वाण
प्रेम की परिभाषा, नयनों में रहती संयमित
तस्वीर इसकी दिल में होती, सर्व रंग चित्राकिंत
सच्चे प्रेमी बिन शिकवा करते, इसकी अर्चना
प्रेम त्याग भरी है साधना, जीवन उपासना……
कमल भंसाली