वादों का इतिहास है, पुराना
इसके बिना मुश्किल संसार चलाना
जितना सरल है वादा करना
उतना ही कठिन इसे निभाना
वादा कुछ ऐसा कीजिये
इन्तजार का दर्द ना दीजिये
किसी की आशाओं पर
सर्द तुषार पात मत कीजिये
वादा, अगर आपने बड़े बुजर्गों से किया
निभाकर मान सम्मान,दोनों को दीजिये
प्रेम के वादे में, गुना भाग मत कीजिये
निभा कर, जिंदगी भर का साथ दीजिये
दोस्त से किया वादा, न रहे कभी आधा
सच्ची दोस्ती की कीमत, सबसे ज्यादा
रिश्तों से किया वादा, फूलों से होता नाजुक
पूरा न हो तो दिल टूट कर, हो जाता भावुक
लेनदेन और व्यापारिक वादा होता, अर्थ पूर्ण
न निभाने से साख हो जाती, संशय से अपूर्ण
अपने से किया वादा कम नहीं है, महत्व पूर्ण
न निभाने से आत्मा का नहीं होता, निर्वाहण
असहाय से किया वादा, सबसे पर्यवदात
न निभाने से है, जीवन दर्शन रहेगा अज्ञात
गुरु से किया वादा, तय करता जग कल्याण
न निभाने से दूर ही रहते, आस्था के भगवान
माता पिता से किया वादा, रखिये निष्कलंक
न निभाने से जीवन नहीं होता, प्रगति प्रेरक
प्रभु से करे कोई वादा, रखकर आत्म जागरण
न निभाने से नहीं मिलता, उनका कल्याण चक्षण
वादा करे जरुर, पर न होकर मजबूर
वादे का भी होता है, स्वयं अपना संसार
निभाना ही है, उनकी आन बान शान
नहीं निभाने से अधूरी, हम सबकी पहचान…..
कमल भंसाली