“अर्थ”की दुनिया में “सच्चा प्यार”
एक सपना या सिर्फ एक आकार
इतना महत्वाकांक्षी बन गया, संसार
कहता है, क्या होता है “परिवार” !
जो न जाने परिवार की महिमा
वो जीवन मूल्य से है ,अनजान
उसके लिए “अर्थ” ही सब कुछ
बिना जरूरत के न माने, “भगवान”
परिवार एक गुलदस्ता है,प्यार का
अहसास और स्नेहपूर्ण व्यवहार का
हर तरह के सुख दुःख के, इकरार का
जो न समझे उनके लिए सिर्फ “व्यापार” का
परिवार में क्या नहीं होता
कई पुश्तों का खून बहता
जानेवाले को भी आनेवाले
भविष्य पर गुमान रहता
दादा दादी की अंतिम चाह
पोते तक उनकी बने राह
पिता के तलवार की धार
सन्तान को संयम भरा प्यार
माँ आदान प्रदान की बहार
संस्कारों से सजाती घर द्वार
बड़े भैया परिवार की बढ़ाते नैया
छोटा भाई सब का होता दुलारा
हर रिश्ता एक से बढ़कर सवैया
बिन बहन परिवार होता अधुरा
परिवार सिर्फ रिश्तों से नहीं बनता
यह तो एक बंधन जो दिल से बंधता
त्याग की भूमि पर खुशियों का फल देता
स्वार्थ की धरती पर इसका अस्तित्व नहीं रहता
गौर की बात है, परिवार है देश का छोटा रूप
इसको भी होती कुछ अपेक्षाये, अपने अनुरूप
शासन इसकी मजबूती, तभी तो सहेगा छावं धूप
अवेहलना से होता परिवार का कमजोर स्वरूप
भाग्यशाली है आप, अगर है, “आपका परिवार”
समझ लीजिये कल्पवृक्ष के बन गये , भागीदार
नादानी न कीजियेगा, महत्व इसका समझिएगा
आप इसे एक ख़ुशी देकर हजारों खुशियां गिनियेगा …..
कमल भंसाली