मै चला
तुम रुके
तुम चले
मै रुका
पथ ऐसे
ही चलते
प्राणों के
महासागर में
सांसो की
नावों का
भी इसी
तरह चलना
बेहद जरूरी
जिन्दगी की
पुस्तक न
हो कभी
मैली कूचेली
इसी लिए
बनी हैं
धर्म की
ज्ञान भरी
कर्म की
बंधन युक्त
आत्मिक थैली
बाकि हर
एक की
जीवन पुस्तक
लिखने की
अपनी शैली
पढ़ने वाले
कुछ भी
कहें या
फिर न
कभी कहें
हम सहे
अपने पन्ने
सही लिखे ……
♦♣♦♣कमल भंसाली♣♦♥♦
कमल भंसाली