नारी अदभुत कृति प्रकृति की
नर से ज्यादा स्वीकृति जग की
नारी के बिना जग नही होता
नारी बिना मानवता का विकास नही होता
नारी की चाहिए प्रेम की धरा
जिसमे हो स्नेह, विश्वास और सम्मान भरा
नारी अद्धभुत…..
हंसते हंसते कर देती, नारी का त्याग महान
इतिहास गवाह है, संकट में नारी देती अपनी पहचान
शक्ति और साहस से सब संकट झेलती
संयम से सयोंजन अपने परिवार का करती
क्षमा की देवी ही नही,शिवशक्ति वो कहलाती
नारी अद्धभुत…
धर्म उसकी आस्था में बसता
उसी से संसार पावन कहलाता
सदियों से नारी अत्याचर से लड़ती आई
अपने वजूद की रक्षा स्वयं करती पाई
सत सत प्रणाम नारी ऊर्जा को
उसके माँ,बहन और पत्नी होने के दर्जे को
नारी अद्धभुत….
युग बदला नारी बदली
अपनी शक्ति की पहचान बदली
शिक्षा और ज्ञान की देवी सरस्वती कहलाई
धन सम्पति की देवी लक्षमी बन पूजा कराई
सौन्दर्य की देवी बनकर शिव का मन हरसाईं
राधा कृष्ण की जोड़ी बन प्रेम को नये आयाम तक पहुंचाई
नारी अद्धभुत…
युग बदलता रहा, संग संग नारी भी बदलती रही
पर कभी कभी ऐसा लगता नर नही बदला
न बदली उसकी मानसिकता ,नही तो क्यों होता है
नारी के मान सम्मान और इज्जत पर हमला
जब कभी वो करता नारी पर करता अत्याचार
पता नही क्यों भूल जाता उसके पास है माँ के दिए संस्कार
बहन का दिया स्नहे और पत्नी का दिया प्यार
और सच भी तो यही है इसलिए चल रहा यह संसार
जरा बताओ इस से किसको है इंकार
नारी अद्धभुत…
【★★★कमल भंसाली★★★】
कमल भंसाली