आधुनिक भारत के
प्रगति की
एक सड़क
बिन रौशनी की गली
उसमे एक सरकारी स्कूल
जहां स्वतन्त्रता दिवस
की हों रही तैयारी
उसी के प्रांगण में
एक मासूम लड़की
नयनों में आंसू भर
सिसक कर जन मन गन
दोहरा रही
उसके हाथ में
एक माटी की स्लेट
टूटी सी एक पेन्सिल
हाथ में एक छोटा सा
भारत माँ का झंडा
थोड़ी सी फ़ीस का जुगाड़
गरीब बाप की मजबूरी
रोटी या स्कुल की फ़ीस
मास्टरजी ने डंडा मारा
उसी को उसमे डाल
वो बुदबुदा रही थी
झंडा ऊँचा रहे हमारा
विश्व विजय तिरंगा हमारा
काली गाड़ी काल की
सफेद गाडी भारत के
भाग्य विधाता नेता की
झंडा फहरा ने आ रही
उस बच्ची की टूटी पेन्सिल
या टूटे डंडे में लहराता
देश की आशाओं का
भारत भाग्य का झंडा
समझ में नही आता
देश किधर जा रहा
झंडा कहां लहरा रहा….
★★★कमल भंसाली★★★
कमल भंसाली
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