सितारों से छायी है रात
दिल में कुछ रंग भरे जज्बात
चन्द्रमा की चांदनी जैसी सुरत
आज भी याद है,उसकी मुलाक़ात
वो कौन थी, नही मुझे ख्याल
थी कोई भी, पर थी हसीना बेमिसाल
उसकी आँखों की रंगत
में नजर आती जन्नत
कल वो मेरी हो जाए ऐसी थी मन्नत
अफ़सोस, ऐसा कुछ हुआ नही
मै दीवाना हुआ,पर नही हुई वो दीवानी
खत्म हो जाती, यहीं यह कहानी
पर प्यार ऐसा होने नही देता
कुछ दर्द अनजाने दे जाता
जिन्दगी भर की कसक छोड़ जाता
नाजो से पली, रहती थी सामने वाली गली
कभी कभी ही बाहर निकलती
आदत थी,उसकी आँख झुका के चलती
दो चोटी में समाये बाल नागिन लगते
उसकी आँखों में सपने बेगाने लगते
दो गुलाबी होठ दरवाजे जन्नत के लगते
चाल उसकी कयामत की दुश्मन लगती
कुछ दिन फिर नही दिखती…..
कशिश से भरपूर सजकर जब कभी मिलती
लगता मुझे आँखों ही आँखों में मुझे कहती
डरती हुं, साजन पर प्यार तुम्ही से करती
अगले पल पास से गुजर जाती कुछ नहीं कहती
सन्नाटे में जाने की कुछ आहटें गूंज जाती
महक अपने जिस्म की छोड़ जाती
मुझे भावनाओ के जंगल में अकेला छोड़ जाती
एक दिन हुई कुछ तकदीर की मेहरवानी
मै उसके घर से गुजर रहा था
खुली उसके घर की खिड़की
वो बैठी कुहनियो के सहारे
दर्पण में निहारे अपना चेहरा
मानो दर्पण में खोज रही राज गहरा
मेरी सुरत की तरफ उसकी पड़ी नजर
सहसा मुस्कान उसके लबो पर गयी ठहर
मायूस होकर नजर उठाई जब
कसम से मेरी आँखों में छा गई बहार
मानों, वादा कर गई मिलने का एक बार
जवानी को मिली जब ऐसी सौगात
बेचेन रहने लगा दिल दिन रात
बदलती करवटों में रहता उसका साया
पता नही जूनून था या उसका प्यार
प्रार्थना रोज यही करता खत्म हो इंतजार
सही कहत, प्यार है न उतरने वाला बुखार
सुरत उसी की सामने आती हर बार
फिर जो होना था, वो हुआ नहीं
आखिर जो नही होंना था,वही हुआ
प्यार को खोना था,खो गया कहीं
आज वों कहां,मेरे दिल के सिवाय
सच,मैं जानता नही इसके सिवाय…..
●●●कमल भंसाली ●●●